ऐप पर पढ़ें
‘अभय मुद्रा’ को गुरु नानक देव से जोड़ने पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी घिर गए हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने कांग्रेस नेता की ओर से संसद में की गई हालिया टिप्पणियों पर शुक्रवार को कड़ा संज्ञान लिया। साथ ही, उन पर अभय मुद्रा को गुरु नानक देव की विचारधारा से जोड़ने का आरोप लगाया। एसजीपीसी ने बयान में कहा, ‘राहुल गांधी ने गुरु नानक का संदर्भ देते हुए कहा कि गुरु साहब की छवि अभय मुद्रा दर्शाती है, यह पूरी तरह से गलत है। प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया कि गुरु साहब ने ऐसी किसी भी मुद्रा या आसन को मान्यता नहीं दी। उन्होंने केवल एक ‘अकाल पुरख’ के साथ जुड़ने की शिक्षा दी।’
संसद में राहुल गांधी की ओर से गुरु नानक देव के दर्शन और छवि को लेकर की गई टिप्पणियों पर एसजीपीसी ने कड़ा ऐतराज जताया। कमेटी ने कहा कि पवित्र गुरबानी और गुरुओं की शिक्षाओं को पूरी जानकारी के बिना राजनीतिक बहस का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। अक्सर राजनीतिक लोगों द्वारा गुरुओं के मूल सिद्धांतों और पवित्र गुरबानी के अर्थ की भी गलत व्याख्या की जाती है, जिससे सिखों की भावनाएं आहत होती हैं। प्रस्ताव के जरिए एसजीपीसी ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि संसद की कार्यवाही के दौरान किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत न हों।
आखिर संसद में राहुल गांधी ने क्या कहा था?
राहुल गांधी ने 1 जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान बोलते हुए पैगंबर मुहम्मद का हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कुरान निर्भयता की बात करता है। उन्होंने कहा था कि जब हाथ ‘दुआ’ में उठाए जाते हैं तो एक तरह से ‘अभय मुद्रा’ भी देखी जा सकती है। उन्होंने निर्भयता के महत्व को रेखांकित करने के लिए भगवान शिव, गुरु नानक और ईसा मसीह की तस्वीरें हाथ में लेकर हिंदू धर्म, इस्लाम, सिख धर्म, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का उल्लेख किया था।
स्वर्ण मंदिर परिसर में प्रचार के लिए वीडियोग्राफी पर रोक
एसजीपीसी ने किसी भी कलाकार या अभिनेता को स्वर्ण मंदिर परिसर में अपने प्रचार के लिए वीडियोग्राफी करने से रोकने का भी आदेश दिया। यह कदम फैशन डिजाइनर अर्चना मकवाना द्वारा हरमंदर साहिब में योग किए जाने के कुछ दिन बाद आया है। ये निर्णय अमृतसर में आयोजित एसजीपीसी की कार्यकारी समिति की बैठक में लिए गए। फैशन डिजाइनर मकवाना पर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर स्वर्ण मंदिर परिसर में योग के माध्यम से ‘धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ का मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, मकवाना ने माफी मांगते हुए कहा था कि उनका इरादा कभी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।