ईरान में हिजाब नहीं पहना तो मौत की सजा, नए कानूनों पर शुरू हुआ विवाद

ईरान में हिजाब नहीं पहना तो मौत की सजा, नए कानूनों पर शुरू हुआ विवाद


तेहरान

ईरान सरकार हिजाब को लेकर सख्त होती जा रही है. ईरान के नए शुद्धता और हिजाब कानून की पत्रकारों और एक्टिविस्टों की ओर से अलोचना की जा रही है. जिसके अंदर उल्लंघन करने वालों को मृत्युदंड और कोड़े मारने जैसी कठोर सजाएं दी जा सकती हैं. नए हिजाब कानून को सितंबर 2023 में संसद में पारित किया गया था और एक साल बाद गार्जियन काउंसिल द्वारा इसे अंतिम रूप दिया गया है.

इस कानून में हिजाब को अनिवार्य बनाने के लिए कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें भारी जुर्माना, लंबी जेल की सजा और रोजगार और शिक्षा पर प्रतिबंध शामिल हैं. शुक्रवार को मानवाधिकार एडवोकेट शदी सद्र ने नए कानून के चरम प्रावधानों के बारे में बताया, इनमें से एक प्रावधान न्यायपालिका को विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर नग्नता, पर्दा डालने या अनुचित पोशाक पहनने के आरोपी व्यक्तियों को मौत की सजा देने का अधिकार देता है. इसके अलावा ऐसे कृत्यों को ‘धरती पर भ्रष्टाचार” के तौर पर देखता है.

हिजाब न पहनने पर हो सकती है मौत की सजा

रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स से जुड़ी फ़ार्स न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक नए हिजाब और शुद्धता कानून के एक खंड में लिखा है, “कोई भी व्यक्ति जो विदेशी सरकारों, नेटवर्क, मीडिया आउटलेट, समूहों या राज्य के प्रति शत्रुतापूर्ण संगठनों, या उनसे जुड़े व्यक्तियों के साथ मिलकर, या संगठित तरीके से नग्नता, अनैतिकता, पर्दा हटाने या अनुचित पोशाक को बढ़ावा देने या विज्ञापन देने में संलग्न है, उसे चौथी डिग्री कारावास और तीसरी डिग्री जुर्माने की सजा दी जाएगी, जब तक कि उनका अपराध इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 286 के अंतर्गत न आता हो.”

इस्लामी दंड संहिता का आर्टिकल 286 ‘पृथ्वी पर भ्रष्टाचार फैलाने’ को परिभाषित करता है, जिसके लिए मृत्यु दंड दिया जा सकता है. यदि अधिकारी हिजाब उल्लंघन को इस अनुच्छेद के अंतर्गत मानते हैं, तो इसके लिए मृत्यु दंड दिया जा सकता है.

कोड़े मारने की सजा

दूसरा प्रावधान में हिजाब नियमों का पालन न करने पर कोड़े मारना एक दंड शामिल है जो नए कानून में भी बना रहेगा, जिसमें महिलाओं, ट्रांस व्यक्तियों और गैर-बाइनरी लोगों को लक्षित किया जाता है.
पत्रकारों और एक्टिविस्टों का विरोध

इस कठोर कानून के खिलाफ 140 से ज्यादा पत्रकारों ने आवाज़ उठाई है, इसे नागरिक अधिकारों का उल्लंघन और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है. दूसरी और महिला अधिकारों पर बात करने वाले संगठन पहले से ईरान पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं.

पत्रकार और महिला अधिकार कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद ने इस कानून को महिलाओं को कुचलने, उनकी आवाज़ दबाने और समानता की लड़ाई को खत्म करने का सोचा-समझा हथियार” बताया है. उन्होंने कहा, “यह कोई कानून नहीं है; यह आतंक का एक हथियार है.”

रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी मीडिया या संगठनों में हिजाब विरोधी विचारों को बढ़ावा देने के आरोपी लोगों को 10 साल तक की जेल की सजा मिलेगी। साथ ही 12,500 पाउंड तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। इसके अलावा कानून का उल्लंघन करने वाली महिलाओं की गिरफ्तारी को रोकने या हस्तक्षेप करने की कोशिश करने वाले लोगों को भी नहीं बख्शा जाएगा। ईरान की सरकार ऐसे लोगों को सीधे जेल में डाल सकती है।

ईरान के मुताबिक नए कानूनों का उद्देश्य हिजाब की संस्कृति की पवित्रता को बनाए रखना है। ईरान ने कहा है कि ढंग से कपड़े ना पहनने, नग्नता को बढ़ावा देने या चेहरे को ढकने का विरोध करने पर कठोर से कठोर सजा दी जाएगी। गौरतलब है कि 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से ईरान ने महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बाल ढकने का कानून लागू किया है। 2022 में इन कानूनों के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हुए थे।

ईरान में 16 सितंबर, 2022 को 22 वर्षीय कुर्द महिला महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। महसा को तेहरान में तैनात मोरल पुलिस ने देश के ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसकी मौत के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इन प्रदर्शनों में कई सुरक्षाकर्मियों सहित सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। तब ईरानी सरकार ने इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए हजारों प्रदर्शकारियों को गिरफ्तार किया था। अब इसके दो साल बाद पहले से भी ज्यादा सख्त कानून लागू किए गए हैं।