सम्मिलित सनातनी जागरण से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका में गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी 31 अक्टूबर को एक स्थानीय राजनेता द्वारा दायर एक शिकायत के बाद हुई थी, जिसमें चिन्मय दास और अन्य पर हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करने का आरोप लगाया गया था।
बांग्लादेश में हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। उन्हें बीते दिनों कथित राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी हो रही है।
मंगलवार को बांग्लादेश की एक अदालत ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 2 जनवरी, 2025 तय की। मतलब चिन्मय दास को अभी जेल में ही रहना होगा। डेली स्टार बांग्लादेश ने बताया कि चटगांव अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी।
चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन जज सैफुल इस्लाम ने बचाव पक्ष के वकील के अदालत से अनुपस्थित रहने के कारण सुनवाई की नई तारीख तय की। चटगांव मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अतिरिक्त उपायुक्त (अभियोजन) मोफिजुर रहमान ने इसकी पुष्टि की।
पुलिस ने सुनवाई से पहले अदालत परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी थी। अदालत परिसर में विभिन्न स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस गश्त देखी गई। वकीलों का एक समूह जुलूस भी निकालता नजर आया।
जमानत से इनकार पर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
भारत में विदेश मंत्रालय (MEA) ने दास की गिरफ्तारी और उनकी जमानत से इनकार की कड़ी आलोचना की है। इस गिरफ्तारी से व्यापक आक्रोश फैल गया है और कई लोग उनकी तत्काल रिहाई की मांग कर रहे हैं।
इस्कॉन पहले ही चिन्मय कृष्ण दास का समर्थन कर चुका है। एक्स पर एक पोस्ट में इस्कॉन ने कहा, “इस्कॉन चिन्मय कृष्ण दास के साथ खड़ा है। इन सभी भक्तों की सुरक्षा के लिए भगवान कृष्ण से हमारी प्रार्थना है।”
इस्कॉन ने आगे दावा किया है कि बांग्लादेश के अधिकारियों ने दो साधुओं, आदिपुरुष श्याम दास और रंगनाथ दास ब्रह्मचारी और चिनमय कृष्ण दास के सचिव को गिरफ्तार किया है। इससे पहले, एक अन्य चिंताजनक घटनाक्रम में, एक वकील द्वारा बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए एक याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें इसे एक “कट्टरपंथी संगठन” कहा गया था जो सांप्रदायिक अशांति भड़काने, पारंपरिक हिंदू समुदायों पर अपनी मान्यताओं को थोपने और निचली हिंदू जातियों के सदस्यों की जबरन भर्ती करने के लिए डिज़ाइन की गई गतिविधियों में संलग्न है।
बांग्लादेश में याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस्कॉन सांप्रदायिक हिंसा भड़काने, पारंपरिक हिंदू समुदायों पर अपनी मान्यताओं को थोपने और निचली हिंदू जातियों के सदस्यों की जबरन भर्ती करने के उद्देश्य से धार्मिक कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रहा है।