जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने 48 सीट जीतकर ना सिर्फ स्पष्ट बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है बल्कि इस गठबंधन ने भाजपा की कमर तोड़ दी है, जिसके बाद भगवा पार्टी आत्मचिंतन मोड में आ गई है। भाजपा ने इस केंद्र शासित प्रदेश में कुल 29 सीटें जीतीं, जो उसका अबतक का हाई स्कोर है लेकिन भाजपा जम्मू क्षेत्र से 35 सीटें जीतने के अपने लक्ष्य से चूक गई। इसके अलावा पार्टी ने कश्मीर घाटी में भी कुछ निर्दलीय और समान विचारधारा वाली पार्टियों समेत 15 सीटें जीतने की योजना बनाई थी, जो विफल हो गई।
भगवा पार्टी को मुस्लिम बहुल रामबन, राजौरी और पुंछ जिलों से कुल दस में से केवल एक सीट मिली है। इसके अलावा भाजपा ने जम्मू क्षेत्र में कुल 43 में से 35 सीटों पर जीत के लिए गुज्जर, बकरवाल और पहाड़ी मतदाताओं पर भरोसा जताया था, जो उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। हालांकि, चुनावी नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा, “जम्मू के लोगों ने हमारा समर्थन दिया है और हम उनका शुक्रिया अदा करते हैं। हमने 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, लेकिन उसे प्राप्त करने में कुछ सीटें कम रह गईं।”गुप्ता ने कहा कि ये सब गणनाएं हैं। फिर भी हम एक बड़ी पार्टी बनकर उभरे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा जम्मू-कश्मीर में विकास, शांति और स्थिरता के लिए काम करती रहेगी। गुप्ता ने कहा कि पार्टी ने कड़ी मेहनत की, लेकिन हम सफल नहीं हो पाए।
कश्मीर में भाजपा के चुनाव प्रभारी राम माधव ने कहा, “जम्मू में भाजपा ने 29 सीटें जीतीं, जो अब तक का सर्वोच्च स्कोर है। हमें 25 प्रतिशत से अधिक वोट मिले, जो जम्मू-कश्मीर में भी सबसे अधिक है।” उन्होंने कहा कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन को कश्मीर में ज्यादा सीटें मिली हैं लेकिन जम्मू में कांग्रेस को पूरी तरह से नकार दिया गया। उन्हें जम्मू में केवल एक सीट राजौरी ही मिल सकी है। माधव ने कहा कि हम एक प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। निश्चित रूप से, हम परिणामों का विश्लेषण करेंगे।
जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा, भाजपा ने 29 सीटों के साथ जम्मू-कश्मीर में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, जो उच्चतम रिकॉर्ड है। हम जम्मू-कश्मीर, खासकर जम्मू के लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। बता दें कि अगस्त 2019 में केंद्र की मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने इस कदम को कश्मीरी पहचान पर हमला बताया था। इन पार्टियों ने इस कदम को कश्मीर विरोधी बताया था। गौरलतब है कि जम्मू की एक बड़ी आबादी भी अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ थी।
दूसरी तरफ भाजपा के ‘नए कश्मीर’ में सुरक्षा पर ज्यादा जोर दिया गया और आतंकवाद, अलगाववाद और पत्थरबाजी के खिलाफ लगातार अभियान चलाए गए। हालांकि, अलगाववादी भावना से सहानुभूति रखने वालों ने इन कदमों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया था।