डिजिटल युग में कैसे फल-फूल रही हिंदी पत्रकारिता? IIM इंदौर में मंथन

डिजिटल युग में कैसे फल-फूल रही हिंदी पत्रकारिता? IIM इंदौर में मंथन


भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर (आईआईएम इंदौर) ने सोमवार को हिंदी दिवस मनाया। कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय ने किया। उन्होंने तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य में हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित किया। संस्कृति और पहचान को आकार देने में भाषाओं की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए प्रो. राय ने भाषा, संस्कृति और सभ्यता के बीच गहरे संबंध को समझने की जरूरत बताई।

उन्होंने कहा कि जिस तरह संस्कृति और सभ्यता भाषा से पोषित होती है, उसी तरह हिंदी भी एक भाषा के रूप में हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारी संस्कृति की आधारशिला हमारी भाषाओं में निहित है, और हिंदी इस सांस्कृतिक विरासत को धारण करने वाली मुख्य भाषाओं में से एक है।

प्रो. राय ने कहा कि मौजूदा वक्त में युवाओं में अक्सर व्यक्तिगत नैतिकता देखी जाती है, लेकिन सामूहिक सामाजिक नैतिक दिशा-निर्देश की कमी होती है। उन्होंने हिंदी के माध्यम से इन नैतिकताओं और मूल्यों को दिशा प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया, जो समाज का मार्गदर्शन करने और हमारी सांस्कृतिक जड़ों को संरक्षित करने का माध्यम है।

उन्होंने हिंदी की विशिष्टता बताते हुए कहा कि यह भाषा ठीक उसी तरह लिखी जाती है, जैसे बोली जाती है। हिन्दी ने कई अन्य भाषाओं के शब्दों और प्रभावों को अवशोषित किया है, जिससे यह एक समृद्ध और अनुकूलनीय माध्यम बन गई है। उन्होंने लोगों का मार्गदर्शन करने, स्पष्टता और ज्ञान प्रदान करने की क्षमता के लिए हिंदी की प्रशंसा की।

प्रो. राय ने भारतीय भाषाओं में पाए जाने वाले ज्ञान को अपने जीवन में शामिल करके समाज, संस्कृति और राष्ट्र का मार्गदर्शन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सभी से, यहां तक ​​कि हिंदी से अपरिचित लोगों से भी, सभी भारतीय भाषाओं के साथ-साथ इसे बोलने और संरक्षित करने का प्रयास करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र को एकजुट रखने के लिए भारतीय भाषाएं आवश्यक हैं। भारतीय भाषाओं में बातचीत करने से लोगों को जोड़ने और एकता बनाए रखने में मदद मिलती है। उन्होंने अपील की कि अपनी भाषा को अपनी मां के समान सम्मान दें और देखभाल के साथ व्यवहार करें, क्योंकि यह आपकी पहचान को पोषित और आकार देती है, ठीक उसी तरह जैसे एक मां अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है।

समारोह में ‘मीडिया का डिजिटल युग और हिंदी पत्रकारिता’ पर एक पैनल चर्चा हुई। इसमें ब्रजेश कुमार सिंह, पाणिनि आनंद और राजेश उपाध्याय शामिल थे। सत्र का संचालन प्रो. हिमांशु राय ने किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्वानों ने इस बात पर चर्चा की कि हिंदी पत्रकारिता किस प्रकार डिजिटल युग में ढल रही है और फल-फूल रही है।