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पाकिस्तान की सीनेट ने एक विधेयक को मंजूरी दी, जो सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के खिलाफ सरकार को शक्तियां देता है। विपक्ष और मानवाधिकार समूहों ने इसकी आलोचना की है, जबकि सरकार इसे गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी कदम मानती है।
पाकिस्तान की सीनेट ने मंगलवार को एक विधेयक को मंजूरी दे दी, जो सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के खिलाफ सरकार को शक्तियां देता है। यह विधेयक अब राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के हस्ताक्षर का इंतजार कर रहा है, जिनके इसके समर्थन की उम्मीद है।
यह संशोधन पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण अधिनियम (PECA) में किया है, जिसका उद्देश्य सोशल मीडिया पर ‘गैरकानूनी और आपत्तिजनक’ सामग्री को रोकना है।
गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ सख्त दंड
- इस नए विधेयक के तहत सरकार को सोशल मीडिया यूजर्स को गलत सूचना फैलाने के लिए दंडित करने का अधिकार प्राप्त होगा। अधिकारियों को एक एजेंसी स्थापित करने की अनुमति मिलेगी, जो सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री को ब्लॉक करने के लिए जिम्मेदार होगी।
- यह कानून खासकर न्यायाधीशों, सशस्त्र बलों, संसद या प्रांतीय विधानसभाओं की आलोचनाओं पर कड़ी कार्रवाई करेगा। उल्लंघन करने वालों को सामग्री प्रतिबंध, जुर्माना या तीन साल तक की जेल हो सकती है।
विपक्ष और मानवाधिकार समूहों ने की आलोचना
- विपक्ष ने इस विधेयक के पारित होने पर विरोध किया है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के प्रवक्ता जुल्फिकार बुखारी ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए इसकी निंदा की और अदालत में चुनौती देने की बात कही।
- मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संस्थाओं ने इस विधेयक पर चिंता व्यक्त की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के बाबू राम पंत ने चेतावनी दी है कि यह विधेयक पाकिस्तान के डिजिटल स्पेस में असंतोष को और दबा सकता है।
सरकार का बचाव
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार इस कानून का बचाव करते हुए इसे गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी कदम मानती है। आलोचकों का मानना है कि यह पाकिस्तान में मीडिया और डिजिटल स्वतंत्रता के खिलाफ एक और कार्रवाई है।
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