ब्रिटिश चुनाव 2024: ऋषि सुनक 2.0 या कीर स्टारमर, कौन बनेगा प्रधानमंत्री?

ब्रिटिश चुनाव 2024: ऋषि सुनक 2.0 या कीर स्टारमर, कौन बनेगा प्रधानमंत्री?


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ब्रिटेन में गुरुवार को होने वाले आम चुनावों से पहले प्रचार अभियान खत्म हो गया है। इन चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी के हारने के पूरे आसार दिख रहे हैं। एक ओर जहां प्रधानमंत्री ऋषि सुनक एक और कार्यकाल की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं विपक्षी लेबर पार्टी को बड़ी जीत मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि कंजर्वेटिव पार्टी अभी भी कड़ी मेहनत कर रही है, जबकि उनके सबसे करीबी सहयोगियों ने हार मान ली है और कहा है कि टोरीज़ को चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा। चुनावों के नतीजों की घोषणा शुक्रवार सुबह की जाएगी। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओपिनियन पोल की माने तो केंद्र में वामपंथी लेबर पार्टी गुरुवार के मतदान में बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है। इसके साथ ही ब्रिटेन में 14 साल की कंजर्वेटिव पार्टी का शासन खत्म हो जाएगा। पोल से पता चलता है कि लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारमर प्रधानमंत्री बनेंगे और 10 डाउनिंग स्ट्रीट कार्यालय की चाबी संभालेंगे।

ब्रिटेन के लोग 4 जुलाई को स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक अपने वोट डाल पाएंगे। यूनाइटेड किंगडम में कुल 650 सीटें हैं और ओपिनियन पोल के अनुसार, वामपंथी लेबर पार्टी अधिकतर पर कब्जा कर सकती है। परिणाम घोषित होने के बाद, सबसे अधिक वोट पाने वाली पार्टी के नेता, जो कि कीर स्टारमर होने की संभावना है, को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाएगा। वोट की गिनती के बाद, ब्रिटेन के राजा किंग चार्ल्स बहुमत वाली पार्टी के नेता को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे।

चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद 30 मई को मौजूदा संसद को भंग कर दिया गया था। बुधवार को प्रकाशित एक अनुमान के मुताबिक लेबर को 212 सीटों के बहुमत से बहुत ज्यादा सीटें जीतने का अनुमान है। कंजर्वेटिव पार्टी के इतिहास में सबसे खराब परिणाम आने की उम्मीद है। लेबर पार्टी ने अपने चुनाव अभियान में टोरीज़ के मौजूदा कार्यकाल में बार बाद प्रधानमंत्रियों का बदलना, ब्रेक्सिट, चरमराती अर्थव्यवस्था और शीर्ष कंजर्वेटिव नेताओं से जुड़े कई घोटालों से जनता की थकान जैसे मुद्दों को उठाया है। वहीं, ऋषि सुनक ने ब्रिटेन में माइग्रेशन के मुद्दे पर जोर दिया है और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की बात को अपने अभियान का केंद्र बनाया है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा है कि शासन में बदलाव से अर्थव्यवस्था एक बार फिर से डूब सकती है।