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संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी ने बुधवार को एक बेहद अहम फैसले में परिवीक्षाधीन आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी। यही नहीं, UPSC ने पूजा खेडकर के भविष्य में किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर भी स्थायी रोक लगा दी है। आयोग ने एक बयान में कहा, ‘‘यूपीएससी ने उपलब्ध रिकॉर्ड की सावधानीपूर्वक जांच-पड़ताल की है और पूजा खेडकर को सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है।’’ इस दौरान आयोग ने पूजा के कारनामों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया। इसने बताया कि कैसे पूजा खेडकर ने अपना और अपने मां-बाप का नाम बदलकर फर्जी सर्टिफिकेट बनवाए।
UPSC को जवाब देने में फेल रहीं पूजा खेडकर
आयोग ने कहा कि पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को अपनी पहचान ‘फर्जी’ बताकर परीक्षा के लिए स्वीकृत सीमा से अधिक अवसर ‘धोखाधड़ी’ से प्राप्त करने को लेकर 18 जुलाई को कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया था। बयान में कहा गया है कि उन्हें 25 जुलाई तक एससीएन पर अपना जवाब देना था, लेकिन उन्होंने अपना जवाब देने के लिए आवश्यक दस्तावेज जुटाने के वास्ते चार अगस्त तक का समय मांगा। आयोग ने कहा कि यूपीएससी ने उन्हें 30 जुलाई को अपराह्न साढ़े तीन बजे तक अपना जवाब देने के लिए ‘अंतिम मौका’’ दिया था, लेकिन वह ‘‘निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण देने में विफल रहीं।’’
उसने अपना और अपने माता-पिता का नाम बदला
पूजा खेडकर पर एक नहीं बल्कि कई ऐसे ही गंभीर आरोप हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए विकलांगता के बारे में झूठ बोला और अपनी पहचान गलत बताई। इसके अलावा, उन्होंने सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिए अनुमत छह बार से अधिक बार परीक्षा दी। उसने अपना और अपने माता-पिता का नाम बदलकर ऐसा किया, यही कारण है कि संघ लोक सेवा आयोग उल्लंघन का पता नहीं लगा सका। पूजा ने अपनी शारीरिक विकलांगता और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से होने का दावा करने वाले दो फर्जी प्रमाण-पत्र पेश किए थे। इसको लेकर यूपीएससी ने कहा कि उसने पिछले वर्ष आवेदन प्रक्रिया के दौरान खेडकर के दस्तावेजों की केवल “प्रारंभिक जांच” की थी।
UPSC ने कहा कि पूजा खेडकर के प्रमाण पत्रों की जांच में ये शामिल था कि क्या इन्हें किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया था। हालांकि ये जांच नहीं की गई थी कि इनको किस आधार पर जारी किया गया था। यूपीएससी ने कहा, “आम तौर पर, प्रमाणपत्र को असली माना जाता है।” UPSC ने कहा कि उसके पास हर साल जमा किए जाने वाले हजारों प्रमाणपत्रों की जांच करने के लिए “न तो अधिकार है और न ही साधन”। यूपीएससी ने बुधवार दोपहर को कहा कि उसने पूजा खेडकर का जूनियर सरकारी अधिकारी के रूप में चयन रद्द कर दिया है और उन्हें भविष्य में यूपीएससी परीक्षा में बैठने से रोक दिया है।