बुंदेलखंड के दशरथ मांझी के नाम से पहचाने जाने वाले सीता राम लोधी सरकारी सिस्टम के शिकार हो गए। 2018 में छतरपुर जिले के प्रतापपुरा पंचायत के हडुआ गांव में रहने वाले सीताराम लोधी ने 70 साल की उम्र में अकेले ही गांव के खेत में एक कुआं खोद दिया था। सीता राम लोधी का कहना है गांव में पानी की कमी है। खेत में सिंचाई के लिए पानी की जरूरत थी इसलिए खुद ही लगभग 18 महीने की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने अपने खेत में एक कुआं खोद दिया। इसके बाद जिला प्रशासन एवं स्थानीय नेताओं ने उनकी तारीफ करते हुए कुएं के लिए आर्थिक मदद की बात कही थी। उस समय सीताराम लोधी खूब सुर्खियां में भी रहे थे |
6 साल बाद भी किसी ने नहीं ली सुध
सीता राम लोधी का कहना है कि उन्होंने 2018 में यह कुआं खोदा था। स्थानीय प्रशासन और जन प्रतिनिधियों ने आर्थिक मदद देने की बात कही थी। तत्कालीन कलेक्टर ने दो लाख रुपए देने के लिए कहा था जिससे उनका कच्चा कुआं पक्का हो सके लेकिन 6 साल बाद भी सीताराम लोधी की किसी ने सुध तक नहीं ली और आज भी सीताराम अपने हाथों से खोदे गए कुएं को लेकर परेशान हैं। सीताराम का कहना है हर बरसता में कुआं भिसक जाता है और फिर वापस कुएं से मिट्टी निकालनी पड़ती है|
सरकारी निकले वादे
सीता राम लोधी का कहना है कि जिला प्रशासन और उस समय के कई नेताओं ने आर्थिक मदद के तौर पर 2 लाख 10 हजार देने की बात कही थी ताकि कच्चे किए को बांधा जा सके। साथ ही सरकारी योजनाएं दिलाने की बात भी कही गई थी लेकिन सारे वादे सरकारी निकले। आलम यह कि अब बरसात के मौसम में कुआं पूरी तरह से भिसक गया है|
पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने किया था ट्वीट
सीताराम लोधी की मेहनत देखकर पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने उनकी तारीफ करते हुए एक ट्वीट किया था जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया था और उनके क्षेत्र के तहसीलदार ने उनका एक गरीबी रेखा का राशन कार्ड बना दिय। इसके अलावा आज तक उन्हें कुछ नही मिला। सीताराम लोधी का कहना है न तो उनको आवास योजना का लाभ मिला है और न ही उन्हें सरकारी शौचालय का लाभ मिला है। सीताराम लोधी और उनके परिजनों का कहना है जिला प्रशासन के अधिकारियों ने वाह वाही लूटने के लिए झूठे वादे किए थे। आजतक किसी ने भी उनकी कोई सुध नहीं ली है। कई बार वह स्थानीय नेताओं के चक्कर भी काट चुके हैं।
76 साल के हैं फिर भी नही मानी हार
सीताराम लोधी की उम्र अब 76 साल हो गई है लेकिन अभी भी उन्होंने हार नही मानी है। उनका कहना है कि जैसे ही बरसात कम होगी, एक बार फिर कुएं के काम में लग जाएंगे लेकिन उन्हें अफसोस इस बात का है कि जिला प्रशासन ने जो वादे किए थे उन्हें पूरा नहीं किया। अगर आर्थिक मदद मिलती तो शायद उनका कुआं गिरता नही।
रिपोर्ट- जय प्रकाश