दिल्ली की योजना मंत्री आतिशी ने सेवा विभाग और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के उस आदेश को शून्य बताया है, जिसमें उन्होंने DDCD (दिल्ली संवाद एवं विकास आयोग) के गैर-आधिकारिक सदस्यों को हटाने का कहा था। आतिशी ने कहा कि वह आदेश उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का है, इसलिए एलजी के आदेश के बावजूद गैर-आधिकारिक सदस्य अपनी भूमिका में बने रहेंगे।
इससे पहले बीते महीने उपराज्यपाल ने DDCD को अस्थायी रूप से भंग करने और इसके गैर-आधिकारिक सदस्यों को हटाने की मंजूरी दी थी, जब तक कि इसके उपाध्यक्ष और सदस्यों के रूप में डोमेन विशेषज्ञों की स्क्रीनिंग और चयन के लिए एक तंत्र विकसित नहीं हो जाता।
आतिशी द्वारा जारी आदेश प्रमुख सचिव (योजना), प्रमुख सचिव (सेवाएं) और मुख्यमंत्री के विशेष सचिव को भेजा गया है। आतिशी के आदेश में कहा गया है कि DDCD के गठन की शर्तों से यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट है कि गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति और उनके कार्यों के निर्वहन पर एकमात्र पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार और अधिकार मुख्यमंत्री का है।
योजना मंत्री आतिशी ने इस बारे में एक आदेश जारी करते हुए कहा, ‘यह स्पष्ट है कि सेवा विभाग और एलजी का आदेश सत्ता व अधिकार के दुरुपयोग के स्पष्ट उदाहरण हैं, और साफ तौर पर गलत व भ्रामक हैं। इसके अलावा यह आदेश दोनों के अधिकार क्षेत्र में भी नहीं आता है इसलिए कानून की नजर में अमान्य भी है।’
आतिशी के आदेश में आगे लिखा गया, ‘इसलिए, सेवा विभाग के दिनांक 27/06/2024 के आदेश और एलजी के आदेश को अमान्य घोषित करते हुए 26/06/2024 की यथास्थिति को बहाल की जाती है। इस मामले में विभाग की मंत्री (योजना) की मंजूरी के बिना सेवा विभाग या एलजी के आदेश के अनुसार कोई भी कार्रवाई अवैध मानी जाएगी और दोषी अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।’
आतिशी ने अपने आदेश में कहा कि DDCD का गठन दिल्ली की निर्वाचित सरकार यानी मंत्रिपरिषद द्वारा किया गया है।
आदेश में कहा गया, ‘यह स्पष्ट है कि एलजी के पास हस्तांतरित विषयों पर कोई स्वतंत्र निर्णय लेने की शक्ति नहीं है। ऐसे मामलों में वह निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह से बंधे होते हैं, जो हस्तांतरित विषयों पर विशेष कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करती है, जिसमें योजना विभाग से संबंधित मुद्दे भी शामिल हैं, जो GNCTD का प्रशासनिक विभाग है।’
अपने आदेश में आतिशी ने कहा, ‘यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि गैर-आधिकारिक सदस्यों को सीधे मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाना है, उनका कार्यकाल दिल्ली NCT सरकार के कार्यकाल के साथ समाप्त होता है और उन्हें केवल DDCD के अध्यक्ष, जो कि मुख्यमंत्री हैं की मंजूरी से ही हटाया जा सकता है।’
योजना विभाग की मंत्री द्वारा जारी आदेश में कहा गया है, ‘प्रथम दृष्टया एलजी के पास इन गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति को रद्द करने का आदेश जारी करने का कोई अधिकार या शक्ति ही प्राप्त नहीं है।’ आगे आतिशी ने जोर देकर कहा कि एलजी और सेवा विभाग के पास DDCD के गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति या उन्हें हटाने से जुड़ा कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने आदेश में कहा कि वे DDCD या इसके गैर-आधिकारिक सदस्यों पर कोई पर्यवेक्षी नियंत्रण नहीं रखते हैं।
आतिशी ने कहा कि गैर-आधिकारिक सदस्य सेवा विभाग के दायरे में नहीं आते हैं क्योंकि वे सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि DDCD के गैर-आधिकारिक सदस्यों को किसी सिविल सेवा में नियुक्त नहीं किया जाता है, न ही वे किसी सिविल पद पर होते हैं।