पेरिस ओलंपिक खेल 2024 में अभी तक भारत ने तीन मेडल जीते हैं, भारत के लिए ये तीनों मेडल शूटिंग में ही आए हैं। मनु भाकर ने वुमेंस 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रोन्ज मेडल जीता और फिर मिक्स्ड इवेंट में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मीटर एयर पिस्टल में एक और ब्रोन्ज जीता। शूटिंग में अब मेंस की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशंस में स्वप्निल कुसाले ने भी ब्रोन्ज मेडल जीत लिया है। स्वप्निल कुसाले अपने हाथ में ओलंपिक रिंग्स वाली एक अंगूठी पहनते हैं और अब उनके नाम एक ओलंपिक मेडल भी है। चलिए स्वप्निल से जुड़ी पांच अजब बातें हम आपको बताते हैं-
12 साल के इंतजार के बाद मिला ओलंपिक में खेलने का मौका
पिछले 12 साल से इंटरनेशनल लेवल पर खेल रहे कुसाले को ओलंपिक डेब्यू के लिए 12 साल तक इंतजार करना पड़ा।
धोनी से खास कनेक्शन
धोनी की ही तरह ‘कूल’ रहने वाले कुसाले ने वर्ल्ड कप विजेता क्रिकेट कप्तान पर बनी फिल्म कई बार देखी। उन्होंने क्वॉलिफिकेशन के बाद कहा था, ‘मैं निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेता। लेकिन अन्य खेलों में धोनी मेरे पसंदीदा हैं। मेरे खेल में भी शांतचित्त रहने की जरूरत है और वह भी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे। वह भी कभी टीसी थे और मैं भी हूं।’
अभी भी टीसी हैं स्वप्निल लेकिन रेलवे से मिली है लंबी छुट्टी
कुसाले 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं। उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं। मेडल जीतने के बाद कुसाले ने बताया कि उनको भारतीय रेलवे से 365 दिन की छुट्टी मिली है, जिससे वह दिल लगाकर शूटिंग पर ध्यान लगा सकें।
पर्सनल कोच को मानते हैं मां से बढ़कर
स्वप्निल की पर्सनल कोच दीपाली देशपांडे हैं, जो उनके लिए मां जैसी हैं। स्वप्निल ने उनके बारे में बताया कि दीपाली ने बिना किसी शर्त के हमेशा उनकी मदद की है।
ओलंपिक रिंग से ओलंपिक मेडल का सफर
स्वप्निल के हाथों में ओलंपिक रिंग्स वाली अंगूठी देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उनके लिए इस मेडल की क्या अहमियत है।