अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बहस होने वाली है। ट्रंप ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने डिबेट भाषण में मदद के लिए एक हिंदू महिला नेता को चुना है। ट्रंप ने अपने हमलों को तेज करने में मदद के लिए पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेस और हिंदू-अमेरिकी नेता तुलसी गबार्ड को सामने लाया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है।
डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय मूल की नेता कमला हैरिस 10 सितंबर को एबीसी न्यूज डिबेट में आमने-सामने होंगी। तुलसी ने 2020 के राष्ट्रपति पद की दौड़ के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी और खुद को ट्रंप के समर्थकों के बीच एक सेलिब्रिटी के रूप में फिर से स्थापित किया। लंबे समय से ट्रंप के साथ उनकी दोस्ती रही है। कुछ समय के लिए उनके अफेयर की भी अटकलें लगाई जा रही थीं।
तुलसी गबार्ड ने एक यादगार ऑनस्टेज डिबेट में कमला हैरिस को परास्त कर दिया था। NYT की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने एक ईमेल में तुलसी गबार्ड की भागीदारी की पुष्टि की है।
लेविट ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति राजनीतिक इतिहास में सबसे अच्छे बहस करने वालों में से एक साबित हुए हैं। जो बाडेन को उन्होंने पहले ही राउंड में हरा दिया। उन्हें पारंपरिक बहस की तैयारी की आवश्यकता नहीं है, लेकिन वे तुलसी गबार्ड जैसे सम्मानित नीति सलाहकारों और प्रभावी संचारकों से मिलना जारी रखेंगे।
ट्रंप भी कहते हैं कि उन्हें बहस के लिए तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति ने इस साल बहस के लिए अभ्यास करने में 2016 या 2020 की तुलना में अधिक समय बिताया है।
वह अभी भी पारंपरिक बहस की तैयारी नहीं करते हैं। 27 जून को CNN पर होने वाली बहस से पहले किसी ने भी उनकी भूमिका नहीं निभाई। जून में बाइडेन के साथ CNN पर होने वाली बहस से पहले ट्रंप ने सलाहकारों के साथ समय के लिए या अनौपचारिक रूप से विमान यात्राओं पर बैठकर संभावित विषयों और प्रश्नों पर चर्चा की।
तुलसी ने आरोप लगाए थे कि कमला हैरिस जब सैन फ्रांसिस्को में एक जिला अटॉर्नी थीं तब मारिजुआना उल्लंघन के लिए 1,500 से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया और फिर जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी मारिजुआना का धूम्रपान किया है तो वे इस पर हंस पड़ीं। उन्होंने कमला हैरिस पर उन सबूतों को भी खत्म करने का भी आरोप लगाया, जो एक निर्दोष व्यक्ति को मौत की सजा से बाहर निकाल सकते थे।