रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ रहे संघर्ष को लेकर भारत ने दो टूक शब्दों में कहा कि दोनों देशों को आपस में बातचीत करनी ही होगी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं हो सकता और रूस एवं यूक्रेन को बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि वे सलाह चाहते हैं, तो भारत सलाह देने का सदैव इच्छुक है। जयशंकर ने जर्मन विदेश मंत्रालय के वार्षिक राजदूत सम्मेलन में सवालों का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने चीन के साथ व्यापार के दरवाजे बंद नहीं किए हैं, लेकिन मुद्दा यह है कि भारत किन क्षेत्रों में बीजिंग के साथ व्यापार करता है और किन शर्तों पर। उन्होंने एक दिन पहले सऊदी अरब की राजधानी में भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ ‘सार्थक वार्ता’ की थी।
पीएम मोदी के रूस-यूक्रेन दौरे का जिक्र
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता कि इस संघर्ष का युद्ध के मैदान में कोई हल निकलने वाला है। कहीं न कहीं, कुछ बातचीत तो होगी ही। जब कोई बातचीत होगी, तो मुख्य पक्षों – रूस और यूक्रेन – को उस बातचीत में शामिल होना ही होगा।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस एवं यूक्रेन यात्राओं का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मॉस्को और कीव में कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें नहीं लगता है कि आपको रणभूमि में कोई समाधान मिलने जा रहा है। हमारा मानना है कि आपको बातचीत करनी होगी …. यदि आप सलाह चाहते हैं तो हम इसके लिये सदैव इच्छुक हैं।’’
रूस भी बोला- युद्ध के समाधान में जुटा है भारत
इससे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह कहते हुए तीन देशों के साथ भारत का भी नाम लिया था कि वह यूक्रेन संघर्ष के सिलसिले में उनके संपर्क में हैं और वे वाकई में इसका समाधान करने की ईमानदार कोशिश कर रहे हैं। व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच के पूर्ण सत्र में पुतिन ने कहा था, ‘‘यदि यूक्रेन वार्ता को आगे ले जाने को इच्छुक है, तो मैं ऐसा कर सकता हूं।’’ उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री की यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा के बाद दो सप्ताह के अंदर आयी है। मोदी ने यूक्रेन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भेंट की थी।
रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ के अनुसार पुतिन ने कहा था, ‘‘हम अपने मित्रों और साझेदारों का सम्मान करते हैं जिनके बारे में मेरा मानना है कि वे इस संघर्ष से जुड़े सभी मुद्दों को ईमानदारी से हल करने का प्रयास करेंगे, मुख्य रूप से चीन, ब्राजील और भारत। मैं इस मुद्दे पर अपने सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क में रहता हूं।’’
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने 23 अगस्त को यूक्रेन की यात्रा की थी, जहां उन्होंने राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा था कि यूक्रेन और रूस को बिना समय बर्बाद किए मिल-बैठकर इस मौजूदा युद्ध को समाप्त करना चाहिए तथा भारत इस क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए ‘सक्रिय भूमिका’ निभाने को तैयार है।
चीन से चलता रहेगा व्यापार
जयशंकर ने यह भी संकेत दिया कि भारत चीन के साथ व्यापार करता रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘चीन के साथ व्यापार के लिए हमारे दरवाजे बंद नहीं हैं… यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह एक प्रमुख विनिर्माता है। इसलिए कोई भी ऐसा नहीं है जो कह सके कि मैं चीन के साथ व्यापार नहीं करूंगा। मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि आप किन क्षेत्रों में व्यापार करते हैं और किन शर्तों पर। इसलिए, इसका कोई सीधा-सीधा जवाब नहीं हो सकता है, क्योंकि यह बहुत ही जटिल विषय है।’’