हम होंगे कामयाब अभियान: समानता और मानव अधिकारों की दिशा में एक नई पहल

हम होंगे कामयाब अभियान: समानता और मानव अधिकारों की दिशा में एक नई पहल


भोपाल
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर प्रदेश में महिला एवं बाल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रदेश व्यापी जन जागरुकता अभियान हम होंगे कामयाब का संचालन किया गया। मध्यप्रदेश शासन द्वारा हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान के अंतर्गत लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए एक विशेष मैराथन दौड़ का आयोजन 10 दिसंबर को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्यालय द्वारा किया गया। इस दौड़ का शुभारंभ सुबह साढ़े नौ बजे न्यू रविंद्र भवन के सामने स्थित ग्राउंड से महापौर मालती राय तथा समापन 11 बजे बोट क्लब पर पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा ने किया।
कई विभागो के अफसरो,स्टूडेंटस सहित डेढ़ हजार लोगो ने लिया भाग
मैराथन में पुलिस विभाग सहित शासन के 25 विभागों, स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी और एनजीओ के सदस्य समेत लगभग 1500 प्रतिभागियों ने भाग लिया। देश में पहली बार इतने विभागों और एनजीओ तथा समाज की सहभागिता रही। उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे 16 दिवसीय लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान 25 नवंबर से चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य जेंडर आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए जागरूकता फैलाना और समानता व मानव अधिकारों को बढ़ावा देना है। यह पहल समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
महिला सशक्तिकरण, सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाला एमपी पहला राज्य-डीजीपी
समापन अवसर पर डीजीपी कैलाश मकवाणा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के प्रति संकल्पबद्धता, यह एक अत्यंत प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषय है। आज, जब हम इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं, तो यह याद करना जरूरी है कि 40-45 साल पहले ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग बहुत कम थी, जो आज की तुलना में आश्चर्यजनक लगती है। इंटरनेट और तकनीकी विकास ने पूरी दुनिया को एक साथ जोड़ दिया है, लेकिन इसके सकारात्मक परिणामों के साथ-साथ इसके कई नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। आज इंटरनेट पर उपलब्ध अश्लील सामग्री, दुर्भाग्य से, मोबाइल उपकरणों में भी आसानी से सर्कुलेट हो जाती है। इससे विकृत मानसिकता वाले व्यक्तियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिससे महिलाओं और बच्चियों के प्रति उनकी सोच में नकारात्मक परिवर्तन आता है। यह कई बार छेड़खानी से लेकर गंभीर अपराधों तक की परिणिति बनता है। उन्होने कहा कि यह कार्यक्रम इस बात का उदाहरण है, कि मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जिसने सीएम की पहल पर 25 विभागों के समन्वित प्रयास से महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा को प्राथमिकता दी। इस अभियान के दौरान जागरूकता अभियान, पेंटिंग प्रतियोगिताएं, बालिकाओं के दस्तावेज तैयार करना, सुरक्षा ऑडिट, और अन्य गतिविधियां आयोजित की गईं। झुग्गी-झोपड़ियों, हाट बाजारों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, और स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां महिलाओं और बच्चों को हेल्पलाइन नंबर, कानून और अधिकारों की जानकारी दी गई। उन्होनें कहा कि इस पखवाड़े के अंतर्गत हुए सुरक्षा ऑडिट के निष्कर्षों का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा और इसके आधार पर आगे की नीतियां तैयार की जाएंगी। इस अवसर पर डीजीपी ने मैराथन दौड़ के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए तथा महिला पुलिसकर्मियों को हेलमेट भी वितरित किए। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल सभी अधिकारियों, विभागों और प्रतिभागियों को इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी।
अभियान का लक्ष्य 2030 तक प्राप्त करने का संकल्प- प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव
इस अवसर पर विशेष पुलिस महानिदेशक महिला सुरक्षा शाखा प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तवने बताया कि अंतरराष्ट्रीय लैंगिक हिंसा उन्मूलन दिवस के तहत 15 दिवसीय अभियान का लक्ष्य जेंडर आधारित हिंसा का पूर्ण उन्मूलन है, जिसे 2030 तक प्राप्त करने का संकल्प लिया गया है। इस अभियान के दौरान, पूरे प्रदेश में विभिन्न विभागों द्वारा जागरूकता रैलियां, नुक्कड़ नाटक और अन्य गतिविधियां आयोजित की गई। यह अभियान यहीं समाप्त नहीं होता, बल्कि इसे आगे भी निरंतर जारी रखा जाएगा।