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आज 8 मार्च 2025 है, और पूरी दुनिया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (INTERNATIONAL WOMEN DAY) मना रही है। यह दिन नारी शक्ति, साहस और समानता का प्रतीक है। भारत का इतिहास ऐसी वीरांगनाओं से भरा पड़ा है, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और बलिदान से न केवल देश की आजादी में योगदान दिया, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए नए रास्ते भी खोले।
भारत की महान धरती ने हमेशा वीर, साहसी और प्रेरणादायक महिलाओं को जन्म दिया है, जिन्होंने अपने साहस, संकल्प और बलिदान से रणभूमि (Battlefield) से आसमान (To Sky) तक इतिहास रचकर मिशाल (Example) कायम की है। आइए जानते हैं भारत की 10 ऐसी बहादुर महिलाओं (10 Indian HEROINES) के बारे में, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने साहस का परिचय दिया और मिसाल कायम की।
1. रानी लक्ष्मीबाई (1835-1858)
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भारत की पहली स्वतंत्रता संग्राम (1857) की प्रतीक हैं। जब अंग्रेजों ने झांसी पर कब्जा करने की कोशिश की, तो रानी ने अपने दत्तक पुत्र को पीठ पर बांधकर युद्धभूमि में उतरकर अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। “खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झांसी वाली रानी थी” – यह पंक्ति उनकी वीरता का जीवंत प्रमाण है। 18 जून 1858 को ग्वालियर में वे वीरगति को प्राप्त हुईं, लेकिन उनकी कहानी आज भी हर भारतीय को प्रेरित करती है।
2. सरोजिनी नायडू (1879-1949)
“भारत की कोकिला” के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख महिला नेता थीं। उनकी कविताओं ने लोगों में देशभक्ति की भावना जगाई, और वे सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन में सक्रिय रहीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनने वाली सरोजिनी ने अपने साहस और बुद्धिमत्ता से महिलाओं को नेतृत्व का रास्ता दिखाया।
3. कस्तूरबा गांधी (1869-1942)
महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में पर्दे के पीछे रहकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांधीजी ने खुद कहा था कि “बा” की दृढ़ता उनसे भी अधिक थी। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और जेल की सजा भी भुगती। उनकी सादगी और साहस आज भी महिलाओं के लिए प्रेरणा है।
4. भीकाजी कामा (1861-1936)
भीकाजी कामा ने विदेश में रहकर भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। 1907 में जर्मनी के स्टटगार्ट में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में उन्होंने भारत का पहला तिरंगा झंडा फहराया और अंग्रेजी शासन के खिलाफ आवाज बुलंद की। उनकी निर्भीकता ने दुनिया को दिखाया कि भारतीय महिलाएं भी क्रांति की अगुआ हो सकती हैं।
5. लक्ष्मी सहगल (1914-2012)
कैप्टन लक्ष्मी के नाम से मशहूर लक्ष्मी सहगल आजाद हिंद फौज की पहली महिला कमांडर थीं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित होकर उन्होंने “झांसी की रानी रेजिमेंट” का नेतृत्व किया और अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ा। उनकी वीरता ने यह साबित किया कि महिलाएं युद्ध के मैदान में भी पीछे नहीं हैं।
6. कल्पना चावला (1962-2003)
कल्पना चावला भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं, जिन्होंने नासा के लिए काम किया। 2003 में कोलंबिया अंतरिक्ष यान दुर्घटना में उनका निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान आज भी युवाओं को प्रेरित करता है।
7. कनकलता बरुआ (1924-1942)
असम की इस युवा वीरांगना ने मात्र 17 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में तिरंगा थामकर अंग्रेजों का मुकाबला किया। 1942 में एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए वे अंग्रेजी गोली का शिकार बनीं। कनकलता का बलिदान युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
8. मातंगिनी हजारा (1870-1942)
बंगाल की इस वीरांगना ने 72 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। तिरंगा हाथ में लेकर रैली का नेतृत्व करते हुए वे अंग्रेजी गोली से शहीद हुईं। उनकी वीरता यह सिखाती है कि साहस की कोई उम्र नहीं होती।
9. सावित्रीबाई फुले (1831-1897)
सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए क्रांतिकारी कदम उठाया। अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर उन्होंने पहला महिला स्कूल खोला और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनकी निडरता ने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति को बदलने में अहम भूमिका निभाई।
10. बछेंद्री पाल (जन्म 1954)
आधुनिक भारत की इस साहसी महिला ने 1984 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई कर इतिहास रचा। बछेंद्री पाल पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने इस ऊंचाई को छुआ। उनकी उपलब्धि ने यह साबित किया कि भारतीय महिलाएं किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं।
वीरांगनाओं से भरा पड़ा है इतिहास
इनके अलावा, शांति तिग्गा भारतीय सेना में भर्ती होने वाली पहली महिला थीं, जिन्होंने पुरुषों की बराबरी में कठिन ट्रेनिंग पूरी की और सेना में अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी बहादुरी आज भी प्रेरणा देती है। वहीं एक ट्रेन दुर्घटना में अपना पैर खोने के बावजूद अरुणिमा सिन्हा ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर इतिहास रच दिया। उनका संघर्ष और हौसला सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।
पैन एएम फ्लाइट 73 की एयर होस्टेस नीरजा भनोट ने आतंकियों से यात्रियों की रक्षा करते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी। 23 साल की उम्र में उनका यह बलिदान भारत के इतिहास में वीरता का प्रतीक बन गया। उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने कानून और न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए कई अहम कदम उठाए। उनकी ईमानदारी और निडरता ने उन्हें देशभर में प्रसिद्ध बना दिया।
छह बार की विश्व चैंपियन और ओलंपिक पदक विजेता बॉक्सर मैरी कॉम ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी। मणिपुर से आने वाली इस खिलाड़ी ने साबित किया कि दृढ़ निश्चय से हर कठिनाई पर विजय पाई जा सकती है।
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