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कभी चंबल में बंदूकों की गरज से आतंक मचाने वालीं कुसुमा नाइन ने शनिवार को चुपचाप ही दुनिया से विदा ले ली। सालों तक खौफ का पर्याय रही डकैत कुसुमा नाइन (DACOIT KUSUMA NAEN) को टीबी हो गया था और इसी के चलते उनकी जान चली।(Dies) गई।
दस्यु सुंदरी फूलन देवी (PHOOLAN DEVI) से कुसुमा की सीधी अदावत थी और उससे बदला लेने (Take Revenge) के लिए कुसुमा ने 15 मल्लाहों (15 Boatmen) को लाइन (In Line) में खड़ा कर गोलियों से भून डाला (Shot) था। यह कांड औरेया जिले के अस्ता गांव में हुआ था, जिसे उसने लाला राम और श्रीराम के साथ मिलकर अंजाम दिया था। कहा जाता है कि लालाराम के साथ उसके प्रेम संबंध भी थे। लालाराम से बदला लेने के लिए फूलन देवी ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार डाला था।
इसी का बदला लेते हुए लालाराम के साथ मिलकर कुसुमा नाइन ने 15 मल्लाहों का कत्ल कर दिया था। यह क्रूरता यहीं खत्म नहीं हुई थी बल्कि कुसुमा ने गांव में ही आग लगा दी थी। इसमें एक महिला और उसके 5 साल के बच्चे की जलकर मौत हो गई थी। यह घटना 1984 की है, जिसे 1981 में अंजाम दिए गए बेहमई कांड के बदले के तौर पर किया गया था। इससे पहले एक घटना में उसने दो लोगों की जिंदा ही आंखें निकलवा ली थीं।
यही घटना थी, जिससे वह चंबल क्षेत्र में खौफ का पर्याय बन गई थी। कहा जाता है कि वह डकैत रामआसरे उर्फ फक्कड़ बाबा के संपर्क में आकर दस्यु सुंदरी बनी थी। फूलन देवी मल्लाह समाज की थी, जबकि लालाराम और श्रीराम राजपूत थे। यही वजह थी कि बेहमई कांड और फिर अस्ता कांड ने यूपी समेत पूरे देश में जातीय तनाव भी बढ़ा दिया था। इन दोनों कांडों की दशकों तक चर्चाएं रही थीं।
2004 में कुसुमा और उसकी गैंग ने खुद कर दिया सरेंडर
कुसुमा नाइन कितनी कुख्यात थी, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसके नाम पर हत्या, फिरौती, लूट, किडनैपिंग समेत 200 मामले यूपी में दर्ज थे। इसके अलावा 35 मामलों में वह मध्य प्रदेश में वांछित थी। यूपी पुलिस ने दस्यु सुंदरी पर 20 हजार और मध्य प्रदेश पुलिस ने 15 हजार का इनाम घोषित किया था।
जालौन के टीकरी गांव की रहने वाली कुसुमा नाइन का करीब दो दशकों तक आतंक रहा, लेकिन 2004 में उसने सरेंडर कर दिया था। कुसुमा के साथ फक्कड़ बाबा ने भी सरेंडर कर दिया था। इनके अलावा गैंग के कई प्रमुख सदस्यों छतरपुर के रहने वाले राम चंद वाजपेयी, इटावा के संतोष दुबे, कमलेश बाजपेयी, मनोज मिश्रा और घूरे सिंह यादव ने भी सरेंडर कर दिया था।
सजा काटने के दौरान टीबी की बीमारी से पीड़ित हुईं कुसुमा
यह गैंग कितनी बड़ी थी। इसका अंदाजा इससे ही लगता है कि आज से 21 साल पहले इन लोगों ने सरेंडर के दौरान पुलिस को जो हथियार सौंपे थे, उनमें कई अमेरिकी राइफलें भी थीं। एक अधिकारी की हत्या और किडनैपिंग के मामले में 2017 में दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन और फक्कड़ बाबा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
यही सजा काटने के दौरान टीबी की बीमारी से कुसुमा नाइन पीड़ित हो गई। गंभीर रूप से बीमार होने पर कुसुमा नाइन को सैफई मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया था। इसके बाद भी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो फिर उन्हें लखनऊ स्थित केजीएमयू अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
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